Shop
Piles Kit (What is Piles?)
₹975.00
What is Piles?
Piles, also known as hemorrhoids, are swollen and inflamed veins in the rectum and anus that cause discomfort, pain, and sometimes bleeding. They can occur internally (inside the rectum) or externally (around the anus). Piles are a common condition and can affect people of any age, but they are more common in adults, especially those who are overweight, pregnant, or have poor bowel habits.
In Ayurveda, piles are known as “Arsha”, and it is considered to be caused by the imbalance of the three doshas: Vata, Pitta, and Kapha. It primarily arises due to unhealthy eating habits, improper digestion, and lifestyle choices.
बवासीर क्या है?
बवासीर, जिसे हिमोरॉइड्स के नाम से भी जाना जाता है, गुदा और मलाशय में सूजन और सूजन वाली नसें होती हैं, जो दर्द, असुविधा और कभी-कभी रक्तस्राव का कारण बनती हैं। यह आंतरिक (मलाशय के अंदर) या बाहरी (गुदा के चारों ओर) हो सकती है। बवासीर एक सामान्य स्थिति है और यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह अधिकतर वयस्कों में होती है, विशेष रूप से उन लोगों में जो अधिक वजन वाले हैं, गर्भवती हैं या जिन्हें मल त्याग की समस्याएं होती हैं।
आयुर्वेद में, बवासीर को “अर्श” के रूप में जाना जाता है, और इसे वात, पित्त, और कफ दोषों के असंतुलन के कारण माना जाता है। यह मुख्य रूप से अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतों, अनुचित पाचन, और जीवनशैली विकल्पों के कारण उत्पन्न होती है।
Types of Piles
There are two main types of piles, categorized based on their location:
- Internal Piles
- Located inside the rectum and are generally painless but can cause bleeding during bowel movements.
- These are not usually visible but can be felt if they prolapse (slip out) during defecation.
- External Piles
- Occur under the skin around the anus, and they are painful.
- These can cause itching, swelling, and bleeding.
- External piles can become thrombosed, meaning they can form a clot which makes them more painful.
बवासीर के प्रकार
बवासीर के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, जो उनके स्थान के आधार पर विभाजित होते हैं:
- आंतरिक बवासीर
- यह मलाशय के अंदर होती है और आमतौर पर दर्द रहित होती है, लेकिन मल त्याग के दौरान रक्तस्राव कर सकती है।
- यह आमतौर पर दिखाई नहीं देती है, लेकिन मल त्याग के दौरान बाहर आ सकती है।
- बाहरी बवासीर
- गुदा के चारों ओर त्वचा के नीचे होती है और यह दर्दनाक होती है।
- इससे खुजली, सूजन, और रक्तस्राव हो सकता है।
- बाहरी बवासीर रक्त का थक्का जमा सकती है, जिससे यह और अधिक दर्दनाक हो जाती है।
Symptoms of Piles
The symptoms of piles vary depending on their type and severity. Some common symptoms include:
- Pain or discomfort during bowel movements.
- Itching or irritation around the anal region.
- Swelling or lumps around the anus.
- Bleeding during defecation, usually bright red.
- Leakage of feces in some severe cases.
- Mucus discharge after bowel movements.
In severe cases, piles can prolapse, meaning they can slip outside the anus and may need to be manually pushed back.
बवासीर के लक्षण
बवासीर के लक्षण उनके प्रकार और गंभीरता के आधार पर भिन्न होते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
- मल त्याग के दौरान दर्द या असुविधा।
- गुदा क्षेत्र में खुजली या जलन।
- गुदा के आसपास सूजन या गांठें।
- मल त्याग के दौरान रक्तस्राव, आमतौर पर चमकीला लाल।
- कुछ गंभीर मामलों में मल का रिसाव।
- मल त्याग के बाद बलगम का स्त्राव।
गंभीर मामलों में, बवासीर बाहर निकल सकती है और इसे हाथ से वापस धकेलने की आवश्यकता हो सकती है।
Causes of Piles
Several factors contribute to the development of piles:
- Chronic Constipation
Straining during bowel movements puts extra pressure on the veins in the rectum and anus, leading to piles.
- Diarrhea
Frequent bowel movements can irritate the rectal area, leading to the formation of piles.
- Obesity
Being overweight increases the pressure on the pelvic region and the veins of the rectum.
- Pregnancy
Pregnant women are prone to piles due to the pressure exerted by the growing uterus on the pelvic veins.
- Low Fiber Diet
A diet lacking in fiber can lead to constipation, increasing the risk of piles.
- Sedentary Lifestyle
Lack of physical activity slows down digestion, leading to constipation and piles.
- Genetics
A family history of piles can make you more susceptible to developing them.
बवासीर के कारण
कई कारक बवासीर के विकास में योगदान करते हैं:
- पुरानी कब्ज
मल त्याग के दौरान जोर लगाने से मलाशय और गुदा की नसों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे बवासीर हो सकती है।
- दस्त
बार-बार मल त्याग से मलाशय क्षेत्र में जलन हो सकती है, जिससे बवासीर हो सकती है।
- मोटापा
अधिक वजन होना श्रोणि क्षेत्र और मलाशय की नसों पर दबाव बढ़ाता है।
- गर्भावस्था
गर्भवती महिलाओं को बवासीर का खतरा अधिक होता है क्योंकि बढ़ते गर्भाशय से श्रोणि नसों पर दबाव पड़ता है।
- कम फाइबर आहार
फाइबर की कमी वाला आहार कब्ज का कारण बन सकता है, जिससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है।
- निष्क्रिय जीवनशैली
शारीरिक गतिविधियों की कमी से पाचन धीमा हो जाता है, जिससे कब्ज और बवासीर हो सकती है।
- अनुवांशिकता
परिवार में बवासीर का इतिहास होने से इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
Ayurvedic Treatment of Piles
Ayurveda offers natural and holistic treatments for piles by focusing on balancing the body’s doshas and improving digestion. Some of the key Ayurvedic treatments for piles include:
- Kshar Sutra Therapy
This is a specialized Ayurvedic treatment where a medicated thread (kshar sutra) is used to ligate the pile mass. It is a minimal invasive technique with quick recovery.
- Herbal Remedies
Several herbs like Haritaki, Nagkesar, Arshogni Vati, and Triphala are recommended for piles. These herbs help reduce inflammation, improve digestion, and ease bowel movements.
- Panchakarma Therapy
Panchakarma therapies, especially Basti (medicated enema) and Virechana (purgation therapy), help in detoxifying the body and improving digestive health.
- Dietary Changes
Ayurveda recommends incorporating high-fiber foods, plenty of water, and easily digestible meals into the diet.
बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद बवासीर के लिए प्राकृतिक और समग्र उपचार प्रदान करता है, जो शरीर के दोषों को संतुलित करने और पाचन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। बवासीर के लिए कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपचार निम्नलिखित हैं:
- क्षार सूत्र चिकित्सा
यह एक विशेष आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें एक औषधीय धागा (क्षार सूत्र) का उपयोग करके बवासीर की गाँठ को बांध दिया जाता है। यह एक कम आक्रामक तकनीक है और शीघ्र रिकवरी होती है।
- जड़ी-बूटी उपचार
हरितकी, नागकेसर, अर्शोग्नि वटी, और त्रिफला जैसी कई जड़ी-बूटियाँ बवासीर के लिए अनुशंसित हैं। ये जड़ी-बूटियाँ सूजन को कम करने, पाचन में सुधार करने और मल त्याग को आसान बनाने में मदद करती हैं।
- पंचकर्म चिकित्सा
विशेषकर बस्ती (औषधीय एनीमा) और विरेचन (शुद्धिकरण चिकित्सा) जैसे पंचकर्म उपचार शरीर को विषमुक्त करने और पाचन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करते हैं।
- आहार में बदलाव
आयुर्वेद उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों, पर्याप्त पानी, और आसानी से पचने वाले भोजन को आहार में शामिल करने की सलाह देता है।
Products from Ayu Sangrah Anusandhan for Piles
Some products from Ayu Sangrah Anusandhan that help manage piles include:
- Arshkalp Capsules: These help reduce inflammation and provide relief from pain and swelling.
- Triphala Powder: Known for its detoxifying and digestive properties.
- Piles Cream: Provides external relief from itching and discomfort.
Ayu Sangrah Anusandhan के बवासीर के लिए उत्पाद
अयू संग्राह अनुसंधान के कुछ उत्पाद जो बवासीर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं:
- अर्शकल्प कैप्सूल्स: ये सूजन को कम करने और दर्द और सूजन से राहत दिलाने में मदद करती हैं।
- त्रिफला चूर्ण: इसके डिटॉक्सिफाइंग और पाचन गुणों के लिए जाना जाता है।
- बवासीर क्रीम: यह खुजली और असुविधा से बाहरी राहत प्रदान करती है।
Diet Chart for Piles Patients
A high-fiber diet is essential for managing piles. Some foods that should be included are:
Foods to Include
- Whole Grains: Brown rice, oats, and whole wheat.
- Fruits and Vegetables: Papaya, figs, and leafy greens.
- Flaxseeds: Rich in fiber and beneficial for digestion.
- Water: Drink at least 8-10 glasses of water daily.
Foods to Avoid
- Spicy Foods: They can irritate the digestive system.
- Processed Foods: Junk food and fast food should be avoided.
- Red Meat: Difficult to digest and can worsen constipation.
- Alcohol and Caffeine: These can dehydrate the body and make bowel movements more difficult.
बवासीर के रोगियों के लिए आहार चार्ट
उच्च फाइबर आहार बवासीर को प्रबंधित करने के लिए आवश्यक है। कुछ खाद्य पदार्थ जिन्हें आहार में शामिल करना चाहिए:
शामिल करने के लिए खाद्य पदार्थ
- संपूर्ण अनाज: ब्राउन राइस, जई, और साबुत गेहूं।
- फल और सब्जियाँ: पपीता, अंजीर, और हरी पत्तेदार सब्जियाँ।
- अलसी के बीज: फाइबर से भरपूर और पाचन के लिए फायदेमंद।
- पानी: रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।
बचने के लिए खाद्य पदार्थ
- मसालेदार भोजन: यह पाचन तंत्र को परेशान कर सकता है।
- प्रोसेस्ड फूड्स: जंक फूड और फास्ट फूड से बचें।
- लाल मांस: इसे पचाना मुश्किल होता है और यह कब्ज को और खराब कर सकता है।
- शराब और कैफीन: ये शरीर को डिहाइड्रेट कर सकते हैं और मल त्याग को कठिन बना सकते हैं।
Ayurvedic Tips for Piles Patients
- Stay Hydrated: Drink enough water to keep the body hydrated and soften stools.
- Avoid Prolonged Sitting: Sitting for long periods can increase pressure on the rectal area.
- Regular Physical Activity: Engage in daily walks or yoga to improve digestion.
- Warm Sitz Baths: Sitting in warm water for 15-20 minutes helps relieve discomfort.
- Use Herbal Supplements: Regular intake of herbs like Triphala and Haritaki can help regulate bowel movements.
बवासीर के रोगियों के लिए आयुर्वेदिक सुझाव
- हाइड्रेटेड रहें: पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और मल नरम हो।
- लंबे समय तक बैठने से बचें: लंबे समय तक बैठने से मलाशय क्षेत्र पर दबाव बढ़ सकता है।
- नियमित शारीरिक गतिविधि: पाचन में सुधार के लिए रोजाना टहलें या योग करें।
- गर्म सिट्ज़ स्नान: 15-20 मिनट तक गर्म पानी में बैठने से असुविधा से राहत मिलती है।
- जड़ी-बूटी सप्लीमेंट्स का उपयोग करें: त्रिफला और हरितकी जैसी जड़ी-बूटियों का नियमित सेवन मल त्याग को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
By adopting Ayurvedic treatments, a healthy diet, and lifestyle changes, managing piles becomes easier and more effective.
Customer reviews
Reviews
There are no reviews yet.
Write a customer review